हंसकर यूं ही तुमने अपना परिचय दे दिया
बात तो इतनी सी थी
कसूरवार हम ठहरे कि —दिल ने तुम्हें पनाह दे दी
सारे पथ भूल गया
, राह तेरी बस याद रही
मंजिल ना थी
पर हरेक सांस पर अधिकार तेरा ही बना रहा
दिन बहुत व्यतीत हुए
सब कुछ धुंधला सा गया
लेकिन —
आज गीत कोई गली में गा रहा था
हिलोर ये कैसी उठी
मुस्कराहट भरा परिचय स्पष्ट हो रहा था
लेखिका विमला मीना