प्रेम की भाषा में एक अजीब सी शक्ति है, आपने देखा होगा अंधा हो या गूंगा बहरा यहां तक कि एक जानवर भी इस भाषा को भली भाँति पहचानता है ।
कुत्ते को देखा जब हम उसे कुछ देने के लिए बुलाते है कैसे पूंछ हिलाता आता है क्योंकि वो हमारे लहजे हमारे भावना को समझता है ऐसे ही छोटे बच्चे को ले लीजिए कुछ और समझे या ना समझे लेकिन थोड़ा गुस्से में बोलो तो होंठ लम्बा और नाक फूलाकर रोने लगता है।
मेरा मतलब है —
हम सब यहाँ कुछ समय के लिए जीवन जीने के लिए आये है क्यों ना बेहतर तरीके से जिया जाये
अमर तो कोई रहने वाला नहीं फिर क्यों न कर्मो से अमर हुआ जाये, प्रेम की भाषा को अपना लिया जाये।
1. जिसको जो धर्म अच्छा लगे माने एक दूसरे के धर्म की निन्दा ना करे ।
2. सिर्फ मानव प्रेम ही पर्याप्त नही है सर्व प्राणी प्रेम होना चाहिये। क्योंकि प्रकृति सन्तुलन यदि चाहिए तो इन जीव जन्तुओं का बना रहना आवश्यक है।
3. जोड़ने का काम प्रेम का है और नफरत हमें तोड़ती है
अब आप बताये अच्छा कौन है जो तोड़ता है या .....।
तो उसे अपनाये जो जोड़ता है।
4. आजकल जब भी चुनाव आते हैं आप देखते सुनते और पढते हो, जातिवाद ,धर्मवाद और क्षेत्रवाद सब चरम पर होता है सबसे ज्यादा खतरनाक बैक्टीरिया राजनीति फैलाती है।
इनके पास कुछ नहीं है सिवाय आपस में मनमुटाव और समाज में आपस में वैमनस्यता फैलाने के
फिर हम क्यों आपस मे लडै़ जिसके लिए आत्मा राजी हो वोट दो।
5. कभी अपना एक निवाला तोड़कर गरीब के लिए देना, सर्दी आ गई कुछ उन्हें भी ओढने को मिले जिनके पास नहीं है क्योंकि सर्दी तो उन्हें भी लगती है। है ना।
6. अच्छा करने के लिए किसी मुहूर्त के इंतज़ार की जरुरत नही,आप सामर्थ्यवान हो कर सकते हो ।
7. अच्छे कर्म हमारी पहचान हो।
लेखिका विमला जोरवाल
गंगापुर सटी
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