जीवन की मिठास दो लाइनों के माध्यम से मैं आपको बताना चाहती हूं
"जन्म" होने पर बटने वाली मिठाई से शुरू हुआ ज़िन्दगी का यह खेल, "श्राद्ध" की खीर पर आकर खत्म हो जाता है..
लेकिन बड़े दुर्भाग्य की बात है कि इंसान इन दोनों मौको पर ये दोनों चीजे नही खा पाता ।
लेखिका विमला मीना




दूसरों की ख़ुशी में अपनी ख़ुशी देखना एक बहुत बड़ा हुनर है
और

जो इंसान ये हुनर सीख जाता है
वो कभी भी दुखी नही होता


आप इस तरह के इंसान बने...
जिस तरह के इंसान से...

आप मिलना चाहते हैं..!



सब के पास समान आँखे हैं,
लेकिन,

सब के पास समान दृष्टिकोण नहीं।
बस,
यही इंसान को इंसान से अलग करता है


"मनुष्य" की "मानवता" उसी समय नष्ट हो जाती है
जब उसे दूसरों के "दुःख" में "हंसी" आने लगती है