चांद नहीं रुकता 
ना हीं रुकता है सूरज 
हवा अनवरत बहती है 
क्योंकि —
नदी का कहना है बहते हुए पानी मे  रवानगी है 
रुकते ही दलदल बनता है ।

कितनी अजीब बात है जो लोग चुनाव समय में सक्रिय होते हैं टिकट मांगने के लिए और पैसों के दमखम में 6 माह में अपना माहौल बनाते हैं कितना अजीब लगता है कि यह लोग आम इंसान को बेवकूफ समझते हैं यानी कि 4 साल आप वीआईपी लोगों के बीच बैठते हैं उनकी खुशामद करते हैं ताकि वह आपको टिकट दे सके और एक बार फिर आप जनता को छल सके 
लेकिन —आप भूल जाते हैं कि उन्हें वीआईपी बनाने वाले भी यह आम इंसान ही है ।
आओ कुछ सुधार करें कुछ अपने आप में बदलाव करें और इन क्षेत्रों में किसान की आवाज को उठाएं जो बाजरे और तिल के बर्बाद हो जाने पर रोया है बहुत 
क्या हमारा फर्ज नहीं बनता कि हम इनके आंसू इन्हें मुआवजा दिला कर उनके दर्द को सांझा करके अपनी भूमिका निभाए ।
यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो यकीन मानिए आप जब क्षेत्र में चुनाव के समय लौट कर आएंगे यही जनता यही आम इंसान आपको अच्छा सबक सिखाएंगे 

लेखिका विमला मीणा